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Railway Budget 2025: रेलवे के लिए बजट में नया कुछ नहीं, पुराने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर जोर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्णकालिक बजट पेश किया. इस बजट मे से 2.55 लाख करोड़ रेलवे के लिए आवंटित किए गए हैं. हालांकि, वित्त मंत्री ने रेलवे के लिए कोई नई घोषणाएं नहीं कीं. उनका जोर पुराने प्रोजेक्ट्स को ही पूरा करने पर रहेगा. पिछली बार रेलवे को 2.62 लाख करोड़ का बजट मिला था.

Railway Budget 2025: रेलवे के लिए बजट में नया कुछ नहीं, पुराने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर जोर
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Railway Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 50.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया. इसमें रेलवे के लिए 2.52 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया है. पिछली बार रेलवे के लिए 2.62 लाख करोड़ का बजट आवंटित हुआ था.

बजट में अनुमान लगाया गया है कि रेलवे को वित्तीय वर्ष 2025-26 में 3,01,400 करोड़ रुपये की आय होगी. इसमें यात्रियों से 92,800 करोड़ रुपये, जबकि माल ढुलाई से 1,88,00 करोड़ रुपये की इनकम होगी. वहीं, संचालन में 2,96,359 करोड़ रुपये खर्च होगा.

'बजट में रेलवे के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं'

वित्त मंत्री ने बजट में रेलवे के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की. उनका पूरा जोर पिछली घोषणाओं को पूरा करने पर है. बजट में नई लाइनें बिछाने के लिए 32,235 करोड़, लाइनों के दोहरीकरण के लिए 32,000 करोड़, गेज लाइन को बदलने के लिए 4550 करोड़, सिग्नल और टेलीकॉम सिस्टम के लिए 6800 करोड़, बिजली लाइनों के लिए 6150 करोड़, सेफ्टी फंड के लिए 45 हजार करोड़ और पेंशन फंड के लिए 66 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

'कवच सिस्टम को किया जाएगा अपग्रेड'

बजट में रेलवे के कर्मचारियों के कल्याण के लिए 833 करोड़ और उनकी ट्रेनिंग के लिए 301 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि रेल हादसों को कम करने के लिए कवच सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट पर भी कवच सिस्टम लगाया जाएगा.

बजट में कहा गया है कि रेल वस्‍तुओं के लिए घरेलू एमआरओ में वायुयानों और जलपोतों के मरम्‍मत के लिए आयातित एमआरओ के समान ही छूट का लाभ प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसी वस्‍तुओं के निर्यात की समय-सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष की गई है, जिसे आगे एक वर्ष और बढ़ाई जा सकती है.

रेल नेटवर्क के विस्तार में 10 प्रतिशत की कमी

संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया है कि रेल नेटवर्क के विस्तार में लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि, लेकिन वैगनों और इंजनों का उत्पादन पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 की अप्रैल-नवंबर अवधि की तुलना में बढ़ गया है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि पूरे वित्तीय वर्ष 23-24 में 41 वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गईं,जबकि वित्त वर्ष 24-25 में अक्टूबर तक 17 नई वंदे भारत ट्रेनें चलाई गईं.

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, मौजूदा समय में देश में कुल 68 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं. वित्त वर्ष 23-24 में 456 वंदे भारत कोच का उत्पादन किया गया, जबकि 24-25 में अक्टूबर तक यह आंकड़ा 228 था.

पहले अलग से पेश होता था रेल बजट

बता दें कि पहले रेल बजट अलग से पेश होता था. इसे आम बजट के एक दिन पहले पेश किया जाता था. हालांकि, 2017 से इसे आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा. नीति आयोग ने सरकार को रेल बजट को अलग से पेश न करने का सुझाव दिया था.

1924 में आम बजट से अलग हुआ था रेल बजट

रेल बजट को पहली बार 1924 में आम बजट से अलग किया गया था. हालांकि,92 साल बाद 2017 में यह सिलसिला टूट गया. रेल बजट और आम बजट को मिलाने का फैसला नीति आयोग के तत्कालीन सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित था, जिसका सरकार के वित्त का पूरा विवरण देना और राजमार्गों, रेलवे और जलमार्गों के बीच परिवहन योजना में सुधार करना था.

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